बुन्देली दोहा विषय -बिबूचन

बुंदेली दोहा बिबूचन=(अड़चन /व्यवधान)
कौन बिबूचन कब परै,नइँ #राना अनुमान।
आ जाबै जब सामने,तबइँ हौत पैचान।।
जौन परौसी हो निकट ,लगबै अपनो यार।
बोइ बिबूचन डाल दे,#राना आँख पसार।।
लामी हौतइ जिंदगी,खूब बिबूचन आत।
#राना जैसें जौ बनै,सबइ उयै निपटात।।
नयी बिबूचन देख कैं,#राना नइँ घबड़ाव।
निपटारौ तुरतइ करौ,ऊखौं दूर भगाव।।
जौ भी साजौ काम हौ,उतइँ बिबूचन आत।
पर #राना घर के सबइ,उयै तुरत निपटात।।
*** दिनांक -13-1-2025
✍️ राजीव नामदेव”राना लिधौरी”
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक-‘अनुश्रुति’त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
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