KHafef musaddas maKHbuun mahzuuf maqtuu.a

KHafef musaddas maKHbuun mahzuuf maqtuu.a
faa’ilaatun mufaa’ilun fe’lun
2122 1212 22
तू नहीं तो ज़हान है ख़ाली
दिल का मानो मकान है ख़ाली
सब नफ़रतों जमीन से उप्पर
क़ायरों कोरी शान है ख़ाली
छोड़ दे आदमी ज़माने को
पास क्या है इमान है ख़ाली
वो तसल्ली से देगा अपनापन
अब यही तो समान है ख़ाली
ज़ाल फ़ैलाए बैठे रिश्वतो के
ये वही साहिबान है ख़ाली
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सुशील यादव दुर्ग (cg)
7000226712