आबाद यहाँ लोग हो

आबाद यहाँ लोग होने के लिए, पाने को सुख जीवन के लिए।
करते हैं काम कैसे ये जिंदगी में, जमाने में शान दिखाने के लिए।।
आबाद यहाँ लोग————————-।।
इनको दौलत है बहुत प्यारी, इनकी दुनिया है बहुत न्यारी।
चाल इनकी है कारस्तानी, और यही है यहाँ धर्म के पुजारी।।
ये लिखते हैं अपना इतिहास, अपने नहीं ,औरों के खूं से।
और फिर देते हैं ये नसीहत, अपनी कातिल खूनी रुह से।।
और करते हैं क्या-क्या ,चमन अपना महकाने के लिए।
आबाद यहाँ लोग —————————-।।
तौलते हैं तराजू में ये लोग, लोगों की हस्ती को।
और डूबोते हैं मुफलिसों की, ये लोग किश्ती को।।
बेचते हैं ये लोग आबरू, करके सौदा नारियों का।
उठाकर लाभ अनुचित ये, उनकी मजबूरियों का।।
करते हैं ये क्या-क्या, घर की रौनक बढ़ाने के लिए।
आबाद यहाँ लोग —————————–।।
रखते हैं मुट्ठी में इंसाफ को ये लोग।
करते हैं मुर्दों का व्यापार ,हाँ,ये लोग।।
करते हैं मौज ये मखमली बिस्तर पर।
शर्म नहीं आती इनको अपनी जीवन शैली पर।।
क्या नहीं करते हैं ये, अमर अपना नाम रोशन करने के लिए।
आबाद यहाँ लोग——————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)