सजा का प्रश्न / मुसाफिर बैठा
खुदा जैसा तो कुछ होता नहीं मगर
कल्पनाओं से खुदी में
अनेरे जहरीले घास सा पैदा
खुदा के से तुम खुदा हो
खुदा के कैरेक्टर में होने से तुम
सबके जैसे होते हुए भी
सबसे तुम जुदा हो
कल्पना का खुदा डरा या कि
चालाक मनुष्य बनाता है
तुमने खुद को
खुदा के रूप में खड़ा किया है
उसके कुछ गुणसूत्रों को
समाज के सामंत–मति शक्तिमंतों की मदद से
अपने अंदर जमा किया है
अक्षम्य अपराध तेरा
कभी छुपा तो कभी निर्द्वंद्व सामने आता है
पकड़ में आए भी तो
लोकतंत्र से खेलनेवाले तुम खुदा को
किस विधि से
वापस मनुष्यता दिलाने वाली सजा हो?