“परदादा जी की सीख”
पहले रुतबा बड़ा है मां बाप का,
फिर है हक तुम पर उस्ताद का,
जो तुमको सीखता है इलमत सहूल,
जीहालत तबीयत से करता है शूल,
अगर उसकी खिदमत बजा लाओगे,
तो खादिम से उस्ताद बन जाओगे।।।
पहले रुतबा बड़ा है मां बाप का,
फिर है हक तुम पर उस्ताद का,
जो तुमको सीखता है इलमत सहूल,
जीहालत तबीयत से करता है शूल,
अगर उसकी खिदमत बजा लाओगे,
तो खादिम से उस्ताद बन जाओगे।।।