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12 Feb 2024 · 1 min read

वसंत

मनवी मूल्यों के खुशियों का वसंत

जब बहती शीतल मंद बयार. कोयल की कू कू महुया कि खूसूब खास।।

खेतो मैं हरियाली खुशहाली कि झूमती बाली हर सुबह सूरज युग विश्वशो की मुस्कान!!

आम की बौर की शान मधुर मिठास की बान अंधेरों के बादल छटे धूध मुक्त आकाश.!!

मुक्त पवन के झोकों में इतराती इठलाती बलखाती अपनी धुन में मुस्काती ।

युग उत्सव अागमन की सतरंगी बहुरंगी कली फूल मानव मानवता की बगिया की अभिमान सम्मान.!!

रंग रंग के पंख उमंग बाग बाग की डाल डाल पे पंछी तितली भौरो का कलरव मधु मास वसंत उल्लास!!

निर्मल निर्झर बहती नित निरंतर नदिया, झरने, सागर, पर्वत अचल अस्तित्व का मान!!

जल जीवन का भान सरोवर पंकज प्राणी प्राण प्रकृति महत्व का युग मे प्रथम शौर्य अवाहन संस्कार!!

धरा धन्य दुल्हन वासन्ती बाला मानवता की हाला जीवन युग की मधुशाला का नव शृंगार !!

प्रकृति प्रेरणा धीर वीर पुरुषार्थ. छठ गया तिमिर चहू ओर पल्लवित पूलकित उमंग संचार !!

मन तरंग सप्त रंगो के भावो की भावना रंगो कि बौछार ही बौछार!!

कण कण वसुंधरा फागुन का गीत मीत संगीत मानव मूल्य धरोहर का परम बैभव प्रज्वलित प्रकाश ही प्रकाश !!

नारी गरिमा पराक्रम गौरव गर्व शक्ति की आराधना का प्रातः संध्या मंगलकारी का शुभ मंगल गान!!

दिवस मध्यान शौर्य सूर्य का तेज निखर प्रखर प्रभा प्रभाव शीतल मंद वयार प्रबल प्रवाह।।

मर्यादाओं के मर्म की कदमेा की आहट अंदाज़ पुरुषोत्तम श्रीराम!!

नई सुबह का नया कलेवर नियति की निरंतरता का सत्य अनन्त भाव भाग्य भगवान्!।

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