Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
8 Jan 2025 · 1 min read

चलो कुछ कहे

चलो कुछ कहें, नदी बन कर बहे।
बातें दुनिया की , क्यूं आखिर सहे।

पंख खोल तू ,हर शिकवा बोल तू
परवाज़ का मगर जाने न मोल तू।

अच्छा हो हमसफ़र,करें तेरी कद्र
साथ सुहाना हो तेरा,लगे न नज़र।
सुरिंदर कौर

Loading...