साल चौबीस
साल चौबीस
साल चौबीस बीत गया
किसी के लिए खुशी तो किसी के लिए
गम की रेखा खींच गया।
किसी के प्यारे छूटे किसी से नये नाते जुटे
किसी के घर में भेजकर नये मेहमाँ को
साल चौबीस अपना भेंट दिया।
साल चौबीस——–
यही होता रहा है रहा प्रकृति में
आना जाना लगा रहता है नियति में
विगत वर्ष तो यही सीख दिया
साल चौबीस —————
कुछ घर बने, कुछ घर ढहे
कुछ गहवर गिरे, कुछ आकाश चढ़े
किसी को निडर,किसी को भयभीत किया।
साल चौबीस———–
सच तो यही है नव वर्ष कुछ नहीं है
वही दिन,वही रात, सब कुछ वही है।
केवल चौबीस को पच्चीस किया
साल चौबिश——