जिंदगी संवार लूं
जिंदगी संवार लूं
जिंदगी संवार लूं
जिंदगी संवार दूं
अशिक्षा को,
शिक्षा से संवार दूं।
दुधमुंहे बचपन को
आवाज दूं।
अक्षर ज्ञान देकर
निरक्षर को साक्षर
एक एक हस्ताक्षर
गढ़ दूं।
व्यक्तित्व चमका दूं
सूरज सा तपा दूं
मेहनत की आंच से
फौलाद बना दूं।
न डिगे तन,
न डिगे मन।
अच्छे व्यक्तित्व का
धनी बना दूं।
तू मेरे हद में आ
मै तेरे हालत बदल दूं
जमीन से आसमां तक
उजाला फैला दूं।
संतोष कुमार मिरी कविराज
रायपुर छत्तीसगढ़