मैं भी किसी की महफ़िल का यार होता,

मैं भी किसी की महफ़िल का यार होता,
मगर इक आबोहवा का झोंका मेरे जिस्म को जख्म दे गया
~ जितेन्द्र कुमार”सरकार”
मैं भी किसी की महफ़िल का यार होता,
मगर इक आबोहवा का झोंका मेरे जिस्म को जख्म दे गया
~ जितेन्द्र कुमार”सरकार”