Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 May 2024 · 1 min read

स्व अधीन

स्वीकृति से पहले होगा तिरस्कार।
डटे तुम रहना मगर, न मानना हार।।
विरोधी आएंगे, तुम लेकिन तपस्वी बनना।
काला‌ तम निचोड़ फेंककर, जाना सागर पार।।

जूते किस्मत के, नहीं पड़े अभी।
बैठना फुर्सत से, किसी दिन समझना कभी।।
आखिर हो कौन तुम? मैं तो नहीं।
क्या स्वप्न वहीं , संताप नवीन।।

जग सुंदर-सुंदर बोलेगा, अंदर बाहर कुछ डोलेगा।
कुछ कह कर के, कुछ रो लेगा।।
तुम स्व अधीन करना , मन को महीन करना।
पराधीन का स्वर चुप हो लेगा।
जब अंतर्पट ‘स्व’ खोलेगा।।

कलम तेरी शक्ति है ग़र।
क्यों हुआ था काले तम का असर?
असर को कर दे बेअसर
दिखा शक्ति, कि जीत कदमों पर।।
– ‘कीर्ति’

Language: Hindi
116 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

सीरत
सीरत
Nitin Kulkarni
किसी के ख़्वाबों की मधुरता देखकर,
किसी के ख़्वाबों की मधुरता देखकर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अविश्वास क्यों?
अविश्वास क्यों?
Sudhir srivastava
भरोसा सब पर कीजिए
भरोसा सब पर कीजिए
Ranjeet kumar patre
12. Dehumanised Beings
12. Dehumanised Beings
Ahtesham Ahmad
' क्या गीत पुराने गा सकती हूँ?'
' क्या गीत पुराने गा सकती हूँ?'
सुरेखा कादियान 'सृजना'
बुंदेली दोहा-बखेड़ा
बुंदेली दोहा-बखेड़ा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सन्देश
सन्देश
Uttirna Dhar
मतिभ्रष्ट
मतिभ्रष्ट
Shyam Sundar Subramanian
*वह धन्य हुआ जो कुंभ गया, जो कुंभ क्षेत्र में आया है (छह राध
*वह धन्य हुआ जो कुंभ गया, जो कुंभ क्षेत्र में आया है (छह राध
Ravi Prakash
कच्ची दीवारें
कच्ची दीवारें
Namita Gupta
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
Mukesh Kumar Sonkar
विनाश की कगार पर खड़ा मानव
विनाश की कगार पर खड़ा मानव
Chitra Bisht
स्वयं से बात
स्वयं से बात
Rambali Mishra
****बारिश की बूंदें****
****बारिश की बूंदें****
Kavita Chouhan
शहनाई की सिसकियां
शहनाई की सिसकियां
Shekhar Chandra Mitra
लिख रहा हूं।
लिख रहा हूं।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
अवध में फिर से आये राम ।
अवध में फिर से आये राम ।
अनुराग दीक्षित
" सजदा "
Dr. Kishan tandon kranti
मेरी एक जड़ काटकर मुझे उखाड़ नही पाओगे
मेरी एक जड़ काटकर मुझे उखाड़ नही पाओगे
Harinarayan Tanha
इस साल बहुत लोगों के रंग उतरते देखें,
इस साल बहुत लोगों के रंग उतरते देखें,
jogendar Singh
चलो♥️
चलो♥️
Srishty Bansal
..
..
*प्रणय प्रभात*
पीत पात सब झड़ गए,
पीत पात सब झड़ गए,
sushil sarna
....????
....????
शेखर सिंह
2812. *पूर्णिका*
2812. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ऐ गंगा माँ तुम में खोने का मन करता है…
ऐ गंगा माँ तुम में खोने का मन करता है…
Anand Kumar
अपने ही  में उलझती जा रही हूँ,
अपने ही में उलझती जा रही हूँ,
Davina Amar Thakral
शब्दों की रखवाली है
शब्दों की रखवाली है
Suryakant Dwivedi
Reality of life
Reality of life
पूर्वार्थ
Loading...