इस क़दर फंसे हुए है तेरी उलझनों में ऐ ज़िंदगी,
आओ तुम्हें चाँद पर ले जाएँ
वही पुरानी बोतलें, .. वही पुराना जाम.
हमारे जैसा दिल कहां से लाओगे
शीर्षक -क्यों तुमसे है प्रेम मुझे!
ना मै अंधी दौड़ में हूं, न प्रतियोगी प्रतिद्वंदी हूं।
आप प्लस हम माइनस, कैसे हो गठजोड़ ?
सोच ज़रा क्या खोया तूने, सोच जरा क्या पाया II
स्त्री हूं केवल सम्मान चाहिए
गरबा नृत्य का सांस्कृतिक अवमुल्यन :जिम्मेवार कौन?