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19 Feb 2024 · 1 min read

कैक्टस

साथ ही तो उगे थे
दोनों पौधे
एक को बूंद मिली
एक को सूर्य की कर्करी
एक नमी से खिल उठा
एक दर्द से झुलस गया
एक गर्व से महक गया
एक वृद्धि को तरस गया
मगर उसने सहानुभूति नहीं मांगी
और संघर्ष की ठानी
उसने
अपनी आवश्यकता को क्षीण किया
अपनी ही पत्तियों को जीर्ण किया
सहकर भी तीक्ष्ण व्यवहार
अपनी जीजिविषा को विस्तीर्ण किया
अपनी ही अनुकूलन क्षमता से
जब उसने जीवन पाया
सबने उसे
कैक्टस बताया

Language: Hindi
3 Likes · 125 Views
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