#बेटियां #(मेरा नवीन प्रयास सयाली छंद मे)
उलझी उलझी सी रहे , यहाँ वक़्त की डोर
पूजा
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
अब उसने अपना घर ढूंँढ लिया है
क्या होता है क़ाफ़िया ,कहते किसे रदीफ़.
आँखों में मुहब्बत दिखाई देती है
रंग है खुबसूरत जज्बातों का, रौशन हर दिल-घर-द्वार है;
वंदन नेता जी करें,
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
जुदाई का प्रयोजन बस बिछड़ना ही नहीं होता,