नया साल
जाते जाते चौबीस की सब अच्छी यादें समेट लो सब।
भूल जायेंगे कल अपनों की हर एक गलत बातों को हम।।
करते हैं हम विदा साल को अपनी हर बुराई को साथ लिये।
कितने हमसे विदा हुए तो कितने ही नये दोस्त भी बना लिये।।
यही दौर है यही प्रथा है जी लो जीवन मिलजुल कर सब।
कल कुछ दोस्त नये भी बनेंगे तो कुछ से बिछड़ जाएंगे हम।।
संकल्प लेना है नये साल पर संयम को अपनाएंगे हम।
नफरत से हम तोड़ के नाता प्रेम को गले लगाएंगे हम।।
कहे विजय बिजनौरी जीवन सुख दुःख के दो पहिये हैं।
प्यार से दुःख भी कम हो जायें सुख तो हमेशा से अपने हैं।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।