नौ वर्ष(नव वर्ष)
01.01.25
(01+01+25=9 )
नौ वर्ष(नव वर्ष)
नव वर्ष में नौ है छुपा,
सन्देश से भरपूर है।
उनको भी कर लो याद जो,
अपने सगों से दूर हैं।
नौ माह से फौजी डटा,
सरहद करे महफूज सब।
उसको तो यह भी याद न,
नव वर्ष में घर पर था कब।
नौ माह में मानव बने,
कोई कोख तब जन नव जने।
नौ द्वार होते देह में,
सब पर हैं सुर के घर बने।
नौ रस में सिमटा काव्य सब,
हंसता या रोता गाय कर।
नौ ग्रह हैं फैले जो नभ में
रखते हैं बहु भरमाय कर।
हैं नौ भवानी नौ तरह,
नव रात्रि में आतीं हैं घर।
जो भी करें मनुहार उनका,
देती हैं विपदा दूर कर।
नौ अंक के नव वर्ष में,
जागो करो पुरुषार्थ नव।
भूलो कभी न राम को,
सृजन तभी कल्याण भव।
-सतीश सृजन