हमें कोटला सुल्तान सिंह चलना चाहिए
कोटला गये थे रफी साहब की दरोदीवार पे
कुछ गुनगुनाती सी फिजा कुछ सिसकती सी बयार में
साहब के गांव में गुरवीर जी मिले थे
निरवैर जी मिले थे सोहेल जी मिले थे
ऐसे मिले के जैसे भाई भाई मिल गये
आँखों मे चमक होंठो मे खुशी के फूल खिल गये
निरवैर बड़ा सीधा सच्चा इंसान है
साहब का दरोदीवार संवारे दिल में अरमान है
गुरवीर जी नवजोत जी ने घर में बुला लिया
मेहमाननवाजी की पलकों में बिठा लिया
साहब का जिक्र गीतों का दौर चल पड़ा
किस्सो के साथ यादों का मंजर निकल पड़ा
अजीत शर्मा प्यारा जम्मू से आ गया
बढ़ के गले लगाया दीवाना हो गया
बोला के देखो कैसा दैरोहरम का हाल है
हम रफीयन की भक्ति और दिवानगी को धिक्कार है
देखा जो हाल मैने आवाक रह गया
आने की खुशी में गम का तूफान घिर गया
श्रद्धांजली को गांव शहर से लोग आ गये
अमृतसर से चलकर सोहेल जी आ गये
गले से लगाके बोले क्या कमाल रफी साहब दा
वाह कितना सोडा परिवार रफी साहब दा
लौटे तो साथ अपने अमृतसर ले गये
बड़े भाई सा प्यार दिया घर ले गये
अब आगे की दास्तान सुनना दोस्तों
जो कह रहा हूँ दिल से समझना दोस्तों
श्रद्धांजली समारोह में एक साहब जी आये थे
हम दीवानों से मिले बात की हँसे मुस्कुराये थे
जब ये सुना हम रफीयन यहाँ कुछ काम करेंगे
वीरान पड़ी सरजमीन का सम्मान करेंगे
बोले वो साहब 24 दिसम्बर 31 जुलाई आते हैं सभी लोग
देखा है कितना काम करके जाते हैं सभी लोग
आयेंगे यहाँ दो चार फोटो खिंचायेंगे
बातों की हवा हवाई करके जायेंगे
ये बात कहीं दिल को लग गई है दोस्तों
सच ही तो कहा उन्होंने फिर क्यूं खल गई है दोस्तों
इस बात पे गौर करना और सोचना पड़ेगा
मिल के हम सबको ये वहम तोड़ना पड़ेगा
भारत रत्न से नवाजा जाये ये सरकारों के हाँथ है
रफी साहब के हक मगर उनके सियासत की बात है
सोंचो जो कर सकते हैं हमें करना चाहिए
आओ कदम बढ़ाओ हमें बढ़ना चाहिए
रफी साहब की सरजमीं को संवारना चाहिए
चलो कोटला सुल्तान सिंह चलना चाहिए……
(स्वरचित मौलिक रचना)
M.Tiwari’Ayan’