Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Dec 2024 · 1 min read

अक्षरांजलि

अक्षरांजलि- एक ऐसा साहित्यिक गुलदस्ता है, जिसमें ज्ञान, भक्ति, प्रेम- इन सबका सब रूपों में एक अद्भुत समन्वय है। शाब्दिक अर्थ में यह शब्दों के माध्यम से की गई आराधना है। यह एक ऐसी महत्वपूर्ण अवधारणा है, जो 51 कलमकारों की लेखनी को पूजा का रूप देता है। इस लेखनी के मूल में समाज सुधार और सामाजिक चेतना के बीज विद्यमान हैं। मसलन :
न आता दौर गर्दिश का
तो अफसाने कहाँ जाते,
दुश्मन चेहरे थे नकाबों में
वो पहचाने कहाँ जाते?

साहित्य में अमरत्व है। भले ही दुनिया खत्म हो जाये, लेकिन साहित्य सदा जीवित रहेगा। साहित्य की कोई जाति, वर्ग, धर्म या सम्प्रदाय नहीं होता। साहित्य किसी दायरे या सरहदों में बंधा हुआ भी नहीं है। साहित्य एक ऐसा ईश्वर है, जिसे सब जानते और मानते हैं। इसलिए अक्षरांजलि आवश्यक है। एक नजर :
दुनिया में वही शख्स होते
ताजीम के काबिल,
जिसने हवाओं का रुख
मोड़ दिया हो।

हकीकत में जियें। अपना उत्साह बाँटें। याद रखें आज का सपना कल की हकीकत है। अपने सपनों की दिशा में निरन्तर आगे बढ़ें। ‘कम्फर्ट जोन’ में रहने से बचें, क्योंकि यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहाँ महान सपने मारे जाते हैं, दफना दिए जाते हैं और विस्मृत कर दिए जाते हैं। इन पंक्तियों पर गौर करें :
जरा चलने की कोशिश तो करो
दिशाएँ बहुत हैं,
राहों में बिखरे काँटों से ना डरो
दुआएँ बहुत हैं।

आपका अपना साथी
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।

2 Likes · 4 Comments · 92 Views
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all

You may also like these posts

शीर्षक - शिव पार्वती
शीर्षक - शिव पार्वती
Neeraj Agarwal
कुछ ज़ख्म अब
कुछ ज़ख्म अब
Sonam Puneet Dubey
"कवियों की हालत"
Dr. Kishan tandon kranti
लालसा
लालसा
Durgesh Bhatt
जियो जी भर के,
जियो जी भर के,
Sunny kumar kabira
सर्वनाम गीत
सर्वनाम गीत
Jyoti Pathak
दिल की हरकते दिल ही जाने,
दिल की हरकते दिल ही जाने,
Lakhan Yadav
न जाने  कितनी उम्मीदें  मर गईं  मेरे अन्दर
न जाने कितनी उम्मीदें मर गईं मेरे अन्दर
इशरत हिदायत ख़ान
उन अंधेरों को उजालों की उजलत नसीब नहीं होती,
उन अंधेरों को उजालों की उजलत नसीब नहीं होती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
क्या कहूँ
क्या कहूँ
Ajay Mishra
देखो वो देश जलाकर
देखो वो देश जलाकर
योगी कवि मोनू राणा आर्य
संवादरहित मित्रता, मूक समाज और व्यथा पीड़ित नारी में परिवर्तन
संवादरहित मित्रता, मूक समाज और व्यथा पीड़ित नारी में परिवर्तन
DrLakshman Jha Parimal
इच्छा और परीक्षा
इच्छा और परीक्षा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हिम्मत का सफर
हिम्मत का सफर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
होली खेलन पधारो
होली खेलन पधारो
Sarla Mehta
जरूरत तेरी अब वैसी नहीं
जरूरत तेरी अब वैसी नहीं
gurudeenverma198
मानसिक स्वास्थ्य
मानसिक स्वास्थ्य
Mamta Rani
*आओ खेलें खेल को, खेल-भावना संग (कुंडलिया)*
*आओ खेलें खेल को, खेल-भावना संग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
- जिंदगी का तमाशा बना दिया -
- जिंदगी का तमाशा बना दिया -
bharat gehlot
Being a good person is a choice. Don’t let people fool you i
Being a good person is a choice. Don’t let people fool you i
पूर्वार्थ
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
कौन कहता है छोटी चीजों का महत्व नहीं होता है।
कौन कहता है छोटी चीजों का महत्व नहीं होता है।
Yogendra Chaturwedi
होली
होली
Meera Singh
आज भी अधूरा है
आज भी अधूरा है
Pratibha Pandey
श
Vipin Jain
याद हम बनके
याद हम बनके
Dr fauzia Naseem shad
रमेशराज की बच्चा विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की बच्चा विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
प्रमाणिका छंद आधारित गीत
प्रमाणिका छंद आधारित गीत
Godambari Negi
..
..
*प्रणय*
नफरतों से अब रिफाक़त पे असर पड़ता है। दिल में शक हो तो मुहब्बत पे असर पड़ता है। ❤️ खुशू खुज़ू से अमल कोई भी करो साहिब। नेकियों से तो इ़बादत पे असर पड़ता है।
नफरतों से अब रिफाक़त पे असर पड़ता है। दिल में शक हो तो मुहब्बत पे असर पड़ता है। ❤️ खुशू खुज़ू से अमल कोई भी करो साहिब। नेकियों से तो इ़बादत पे असर पड़ता है।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
Loading...