Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Apr 2024 · 1 min read

कहो कैसे वहाँ हो तुम

कहो कैसे वहाँ हो तुम, सुनाओ हाल अपना तुम।
छुपाना कुछ नहीं हमसे, समझना हमको अपना तुम।।
कहो कैसे वहाँ हो तुम—————————–।।

वास्ता तुमसे है हमको, तुम्हें बहुत प्यार करते हैं।
हमेशा तुम रहो खुश, दुहा रब से यह करते हैं।।
चाहिए कुछ अगर तुमको, जरूर हमको बताना तुम।
कहो कैसे वहाँ हो तुम————————–।।

तुम्हारी आँखों में आँसू , नहीं देख सकते हम।
मुसीबत में फंसे तुमको, नहीं देख सकते हम।।
तुम्हारा हक है हम पर, कभी नहीं शर्म करना तुम।।
कहो कैसे वहाँ हो तुम————————–।।

सितारों से सजाकरके, तुम्हें रखेंगे हम आबाद।
फूलों से भर देंगे दामन, नहीं होने देंगे बर्बाद।।
ख्वाबो- खुशी हो तुम मेरी, खत जरूर लिखना तुम।
कहो कैसे वहाँ हो तुम————————-।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी. आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
184 Views

You may also like these posts

वोट की खातिर पखारें कदम
वोट की खातिर पखारें कदम
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
क्या हुआ जो मेरे दोस्त अब थकने लगे है
क्या हुआ जो मेरे दोस्त अब थकने लगे है
Sandeep Pande
जिन्दगी के सवालों का जवाब
जिन्दगी के सवालों का जवाब
Akash RC Sharma
आजादी का पर्व
आजादी का पर्व
Parvat Singh Rajput
हर ज़ुबां पर यही ख़बर क्यों है
हर ज़ुबां पर यही ख़बर क्यों है
Dr Archana Gupta
पितामह भीष्म को यदि यह ज्ञात होता
पितामह भीष्म को यदि यह ज्ञात होता
Sonam Puneet Dubey
कविता ही तो परंम सत्य से, रूबरू हमें कराती है
कविता ही तो परंम सत्य से, रूबरू हमें कराती है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"खत"
Dr. Kishan tandon kranti
मौन की भाषा
मौन की भाषा
Ritu Asooja
सबने सब कुछ लिख दिया, है जीवन बस खेल।
सबने सब कुछ लिख दिया, है जीवन बस खेल।
Suryakant Dwivedi
तारे बुझ गये फिर भी
तारे बुझ गये फिर भी
अर्चना मुकेश मेहता
बहुत दागी यहाँ पर हैं
बहुत दागी यहाँ पर हैं
आकाश महेशपुरी
वह आवाज
वह आवाज
Otteri Selvakumar
*दिल के दीये जलते रहें*
*दिल के दीये जलते रहें*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बैर नहीं प्रेम
बैर नहीं प्रेम
Sarla Mehta
इम्तिहान
इम्तिहान
Mamta Rani
फिर लौट आयीं हैं वो आंधियां, जिसने घर उजाड़ा था।
फिर लौट आयीं हैं वो आंधियां, जिसने घर उजाड़ा था।
Manisha Manjari
गांव का बचपन
गांव का बचपन
डॉ. एकान्त नेगी
मुझे अच्छी लगती
मुझे अच्छी लगती
Seema gupta,Alwar
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
कष्ट का कारण
कष्ट का कारण
अवध किशोर 'अवधू'
घनाक्षरी
घनाक्षरी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
जो कभी रहते थे दिल के ख्याबानो में
जो कभी रहते थे दिल के ख्याबानो में
shabina. Naaz
सत्य का संधान
सत्य का संधान
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
17. *मायका*
17. *मायका*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
#ज़मीनी_सच
#ज़मीनी_सच
*प्रणय*
23/180.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/180.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*दो दिन फूल खिला डाली पर, मुस्काकर मुरझाया (गीत)*
*दो दिन फूल खिला डाली पर, मुस्काकर मुरझाया (गीत)*
Ravi Prakash
माता, महात्मा, परमात्मा...
माता, महात्मा, परमात्मा...
ओंकार मिश्र
राम बनो, साकार बनो
राम बनो, साकार बनो
Sanjay ' शून्य'
Loading...