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4 Dec 2024 · 1 min read

वक्त का ही जग में दौर है ।

वक्त ही कमबख्त है।
वक्त ही सशक्त है।
वक्त जिसका साथ दे।
हाथों में उसके बरकत है।
वक्त हो जो विपरीत।
हानि और शामत है।
वक्त ने कोई मस्त तो।
कोई उदास पस्त है।
मिलती कही जीत तो।
कोई पाता शिकस्त है।
सत्ता का खेल इस जग में।
पाने को हर कोई रत है।
करता आत्मसात है।
वक्त जो हो अच्छा तो।
देता हर कोई साथ है।
किसी की हसीन रात तो।
किसी की बुरी रात है।
हर कोई परेशान इस जग में।
क्योंकि अभिलाषाओं की न सीमा।
और न ही कोई औकात है।
देश का विकास अवरूद्ध।
जब बंटा हर कोई मजहब जात पात है।
करने को उत्सुक हिंसा और रक्तपात है।
RJ Anand Prajapati

Language: Hindi
83 Views
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