मुझे जीना सीखा दो ज़रा ( ग़ज़ल)
पतझड़ के मौसम हो तो पेड़ों को संभलना पड़ता है
मैं छोटी नन्हीं सी गुड़िया ।
आप अगर अंबानी अडाणी की तरह धनवान हो गये हैं तो माफ करना साहब
गीत- बहुत भोली बड़ी कमसिन...
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अपने साथ गलत करने वालों को जरूर याद रखो ..
आज का दिन थोड़ा और आगे बढ़ गया उसकी यादों से,,,,
*** यार मार ने कसर ना छोड़ी ****
*बहती हुई नदी का पानी, क्षण-भर कब रुक पाया है (हिंदी गजल)*
सच को तमीज नहीं है बात करने की और
एक बेवफा का प्यार है आज भी दिल में मेरे
लाज शर्म की फाड़ दी,तुमने स्वयं कमीज