Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Nov 2024 · 1 min read

sp15 जो ब्रह्म कमंडल से

sp15 जो ब्रह्म कमंडल से
********************

जो ब्रह्म कमंडल से निकली उलझी थी शिव की जटाओं में
राजा भगीरथ के तप से उद्धारे सारे सगर पुत्र

अब दूर हताशा करने को संताप जगत के हरने को
अब दिव्य धरा पर बहती है उस गंगा मां का पुत्र हूं मैं

महाराज शांतनु का बेटा अविवाहित रहना है मुझको
इच्छा मृत्यु का वरदान मिला हां मुझको भीष्म प्रतिज्ञा से

12 आदित्य आठ वसु हैं आठवां वसु धरा पर हूं आया
खुद चला नीतियों पर अपनी तब अपने वचन निभा
मेरी इस भीष्म प्रतिज्ञा से लेता है सबक इतिहास अगर
जग में हो जाता नाम अमर हो जाते हैं संस्कार मुखर

सच को जीना सच कह देना कांटों की डगर पर चलना है
विषपाई बनकर जीना है हर पल अंगार निगलना है
@
डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
यह भी गायब वह भी गायब

107 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Manoj Shrivastava
View all

You may also like these posts

मदिरा सवैया
मदिरा सवैया
Rambali Mishra
मन में किसी को उतारने से पहले अच्छी तरह
मन में किसी को उतारने से पहले अच्छी तरह
ruby kumari
सुबह -सुबह
सुबह -सुबह
Ghanshyam Poddar
जब भर पाया ही नहीं, उनका खाली पेट ।
जब भर पाया ही नहीं, उनका खाली पेट ।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
कला
कला
Kshma Urmila
ग़म का दरिया
ग़म का दरिया
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
देर तक शाख़ पर नहीं ठहरे
देर तक शाख़ पर नहीं ठहरे
Shweta Soni
अंत में कुछ नहीं बचता है..हम हँस नहीं पाते हैं
अंत में कुछ नहीं बचता है..हम हँस नहीं पाते हैं
पूर्वार्थ
🙅आज का आनंद🙅
🙅आज का आनंद🙅
*प्रणय प्रभात*
मेरी कल्पना पटल में
मेरी कल्पना पटल में
शिव प्रताप लोधी
सत्य की खोज अधूरी है
सत्य की खोज अधूरी है
VINOD CHAUHAN
मोड़   आते   रहे   कहानी   में
मोड़ आते रहे कहानी में
Dr Archana Gupta
4001.💐 *पूर्णिका* 💐
4001.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
वक्त
वक्त
अंकित आजाद गुप्ता
किसी के शब्दों ने दिल पर वो ज़ख्म दिया।
किसी के शब्दों ने दिल पर वो ज़ख्म दिया।
sonu rajput
चिरंतन सत्य
चिरंतन सत्य
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
कुछ गहरा सा
कुछ गहरा सा
Kanchan Advaita
जग की तारणहारी
जग की तारणहारी
Vibha Jain
*मां*
*मां*
Shashank Mishra
दोहा पंचक. . . . दिन चार
दोहा पंचक. . . . दिन चार
sushil sarna
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती। करमूले तु गोविन्दः प्
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती। करमूले तु गोविन्दः प्
ललकार भारद्वाज
नारी वेदना के स्वर
नारी वेदना के स्वर
Shyam Sundar Subramanian
अपनो की ही महफ़िल में, बदनाम हो गया हूं।
अपनो की ही महफ़िल में, बदनाम हो गया हूं।
श्याम सांवरा
"उम्र"
Dr. Kishan tandon kranti
अयोध्या धाम
अयोध्या धाम
Mukesh Kumar Sonkar
The Rotting Carcass
The Rotting Carcass
Chitra Bisht
बेवफा आदमी,बेवफा जिंदगी
बेवफा आदमी,बेवफा जिंदगी
Surinder blackpen
सलाम मत करना।
सलाम मत करना।
Suraj Mehra
धरती माता
धरती माता
अवध किशोर 'अवधू'
कलम
कलम
Roopali Sharma
Loading...