//••• क़ैद में ज़िन्दगी •••//
वो गिर गया नज़र से, मगर बेखबर सा है।
मुझसे गलतियां हों तो अपना समझकर बता देना
उम्र जो काट रहे हैं तेरी यादों के सहारे,
मैं सब कुछ लिखना चाहता हूँ
जनता को मूरख समझे म प्र सरकार
हाय री गरीबी कैसी मेरा घर टूटा है
सोभा मरूधर री
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
हिचकियां कम कभी नहीं होतीं
नई पीढ़ी में तनाव: कारण, प्रभाव और इसे कम करने के उपाय
सजदे भी हमारे, हमारा ही भजन है
सभी के सभी बैठे हैं खरीदार ज़माने के।