ओढ़े जुबां झूठे लफ्जों की।
कभी भी भावना में बहकर अपनी निजी बातें और कमजोरी किसी के समक्
आँखों देखा हाल 'कौशल' लिख रहा था रोड पर
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
मां की अभिलाषा
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
राज छोड़ बनवास में आया था मेरे साथ में
यूं ही हमारी दोस्ती का सिलसिला रहे।
आज इस देश का मंजर बदल गया यारों ।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
किसी का खौफ नहीं, मन में..
अध्यापक :-बच्चों रामचंद्र जी ने समुद्र पर पुल बनाने का निर्ण
*सहकारी-युग हिंदी साप्ताहिक का दूसरा वर्ष (1960 - 61)*
इतने अच्छे मौसम में भी है कोई नाराज़,
दोस्त जितने भी मिले,वफादार मिले
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अक्सर चाहतें दूर हो जाती है,