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11 May 2024 · 1 min read

6. *माता-पिता*

नज़्म लिखूँ उनके लिए…
जिन्होंने है मुझे लिखा।
क्या चंद पंक्तियों में…
मैं बयां कर पाऊँगी !
अल्फ़ाज़ नहीं मेरे शब्दकोष में…
कैसे तुम्हें अलंकृत कर पाऊँगी!
अपने जज़्बातों को मै …
कैसे लफ्ज़ों में बयां कर पाऊँगी!
इनके वात्सल्य में भीगी मैं…
हरपल नतमस्तक होती जाऊँगी।
जिनकी बदौलत इस जहां में…
आने का सौभाग्य मिला।
खुदा ने हमारी हर ख्वाहिश…
पूरा करने के लिए,
हमें साथ इनका दिया।
इनका प्यार न होता कभी भी कम,
ऐसा नायाब तोहफा दिया।
सब रिश्तें है इन्हीं की बदौलत…
इन्हीं से हर मुकाम मिला।
‘मधु’ सब खुशियाँ उसकी झोली में,
जिसने माता-पिता को सम्मान दिया।

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Books from Dr .Shweta sood 'Madhu'
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