..........अकेला ही.......
पवित्र श्रावण माह के तृतीय सोमवार की हार्दिक बधाई। कल्याणकार
- क्या खाक मजा है जीने में।।
मैं क्या खाक लिखती हूँ ??
1)“काग़ज़ के कोरे पन्ने चूमती कलम”
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जुए और चुनाव में उतना ही धन डालें, जिसे बिना परेशानी के क्वि
*जब से ब्याही हो तुम जीजी, याद तुम्हारी आती है (गीत)*
दुख दें हमें उसूल जो, करें शीघ्र अवसान .
ज्ञान से दीप सा प्रज्वलित जीवन हो।
हर एक शख्स से ना गिला किया जाए
जंग लगी थी सदियों से शमशीर बदल दी हमने।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
जो ये समझते हैं कि, बेटियां बोझ है कन्धे का
तेरी मीठी बातों का कायल अकेला मैं ही नहीं,