छोड़ो भी यह बात अब , कैसे बीती रात ।
##सभी पुरुष मित्रों को समर्पित ##
गर्मी का क़हर केवल गरीबी पर
कागज़ की नाव सी, न हो जिन्दगी तेरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दिल्लगी का आलम तुम्हें क्या बतलाएं,
लोगों को और कब तलक उल्लू बनाओगे?
प्रेरणा और पराक्रम
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
रूसवाइयांँ¹ मिलेगी, बे_क़दर, बे_नूर हो जाओगे,
कहा कहां कब सत्य ने,मैं हूं सही रमेश.
तुम छा जाते मेरे दिलों में एक एक काली घटा के वाई फाई जैसे।
Chào mừng bạn đến với Debet, nhà cái hàng đầu tại Việt Nam,
सवाल ये नहीं तुमको पाकर हम क्या पाते,