Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2024 · 1 min read

जो बातें अनुकूल नहीं थीं

जो बातें अनुकूल नहीं थीं
वो ही अब कुबूल हो गई
आंगन आंगन देख नजारा
बातें सब निर्मूल हो गई।।
सूर्यकांत

119 Views
Books from Suryakant Dwivedi
View all

You may also like these posts

ये दुनियां दोधारी तलवार।
ये दुनियां दोधारी तलवार।
अनुराग दीक्षित
दलित साहित्य के महानायक : ओमप्रकाश वाल्मीकि
दलित साहित्य के महानायक : ओमप्रकाश वाल्मीकि
Dr. Narendra Valmiki
पापा आपकी बहुत याद आती है
पापा आपकी बहुत याद आती है
Kuldeep mishra (KD)
इम्तिहान
इम्तिहान
Mukund Patil
आधुनिक भारत
आधुनिक भारत
Mandar Gangal
जीवन बिता रहे है मजदूर मुफलिसी का ।
जीवन बिता रहे है मजदूर मुफलिसी का ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
पौधे दो हरगिज नहीं, होते कभी उदास
पौधे दो हरगिज नहीं, होते कभी उदास
RAMESH SHARMA
बड़ी बेतुकी सी ज़िन्दगी हम जिये जा रहे हैं,
बड़ी बेतुकी सी ज़िन्दगी हम जिये जा रहे हैं,
Shikha Mishra
आजकल की स्त्रियां
आजकल की स्त्रियां
Abhijeet
उनका बचपन
उनका बचपन
इंजी. संजय श्रीवास्तव
जहां शिक्षा है वहां विवेक है, ज्ञान है।
जहां शिक्षा है वहां विवेक है, ज्ञान है।
Ravikesh Jha
नारी जीवन
नारी जीवन
Aman Sinha
Patience and determination, like a rock.
Patience and determination, like a rock.
Manisha Manjari
*चलो नहाऍं आज चाँदनी में घूमें हम दोनों (मुक्तक)*
*चलो नहाऍं आज चाँदनी में घूमें हम दोनों (मुक्तक)*
Ravi Prakash
खुद्दार
खुद्दार
अखिलेश 'अखिल'
लम्हा लम्हा कम हो रहा है
लम्हा लम्हा कम हो रहा है
Rekha khichi
दो अक्टूबर - दो देश के लाल
दो अक्टूबर - दो देश के लाल
Rj Anand Prajapati
*इश्क़ से इश्क़*
*इश्क़ से इश्क़*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
"मशवरा"
Dr. Kishan tandon kranti
चाय!
चाय!
Kanchan Alok Malu
आने वाले वक्त का,
आने वाले वक्त का,
sushil sarna
खामोश रहेंगे अभी तो हम, कुछ नहीं बोलेंगे
खामोश रहेंगे अभी तो हम, कुछ नहीं बोलेंगे
gurudeenverma198
लिखना चाहूँ  अपनी बातें ,  कोई नहीं इसको पढ़ता है ! बातें कह
लिखना चाहूँ अपनी बातें , कोई नहीं इसको पढ़ता है ! बातें कह
DrLakshman Jha Parimal
मैं फक्र से कहती हू
मैं फक्र से कहती हू
Naushaba Suriya
तुम मुक्कमल हो
तुम मुक्कमल हो
हिमांशु Kulshrestha
शीर्षक -काली घटा घनघोर!
शीर्षक -काली घटा घनघोर!
Sushma Singh
रिश्तों का खेल
रिश्तों का खेल
पूर्वार्थ
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
असहिं का वृद्ध लो के होई दुरगतिया
असहिं का वृद्ध लो के होई दुरगतिया
आकाश महेशपुरी
Good Morning
Good Morning
*प्रणय*
Loading...