जब किसी कार्य के लिए कदम आगे बढ़ाने से पूर्व ही आप अपने पक्ष
धर्मांध
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
फिर एक आम सी बात पर होगा झगड़ा,
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त
मां! बस थ्हारौ आसरौ हैं
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
ग़ज़ल _ छोटी सी ज़िंदगी की ,,,,,,🌹
ऐसे हालात क्यूॅं दिखाया तूने ईश्वर !
अक्षर ज्ञानी ही, कट्टर बनता है।
जगतगुरु स्वामी रामानंदाचार्य जन्मोत्सव
आप खुद का इतिहास पढ़कर भी एक अनपढ़ को
हे, वंशीधर! हे, त्रिपुरारी !!
रंगों के रंगमंच पर हमें अपना बनाना हैं।
शीर्षक :वीर हो (उल्लाला छंद)
*वेद का ज्ञान मनुष्य-मात्र के लिए: स्वामी अखिलानंद सरस्वती*