पुण्य स्मरण: 18 जून2008 को मुरादाबाद में आयोजित पारिवारिक सम
मौलिक सृजन
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
स्त्रियां, स्त्रियों को डस लेती हैं
क्या होता जो इस दुनिया में गम न होता
सात वचन,सात फेरे सब झूठ निकले।
विश्वेश्वर महादेव
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
चार दिन की जिंदगी किस किस से कतरा के चलूं ?
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विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मुफ़लिसों को बांटिए खुशियां खुशी से।
जब से मेरे सपने हुए पराए, दर्द शब्दों में ढलने लगे,
आंधियों में गुलशन पे ,जुल्मतों का साया है ,