मारे ऊँची धाक,कहे मैं पंडित ऊँँचा
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
सदा सुखी रहें भैया मेरे, यही कामना करती हूं
बीज निरर्थक रोप मत ! , कविता में संस्कार।
भ्रष्टाचार संकट में युवकों का आह्वान
कभी कभी इंसान बहुत खुशी दिखाता है
- अपना होना भी एक भ्रम है -
पति की खुशी ,लंबी उम्र ,स्वास्थ्य के लिए,
अभिमानी सागर कहे, नदिया उसकी धार।
सारे जग को मानवता का पाठ पढ़ा कर चले गए...
*डॉ अर्चना गुप्ता जी* , मुरादाबाद(कुंडलिया)*
तकनीकी की दुनिया में संवेदना
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