Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
#21 Trending Author
Dr. Kishan tandon kranti
293 Followers
Follow
Report this post
31 Oct 2024 · 1 min read
” वक्त “
” वक्त ”
वक्त बहुत कुछ छीन लेता है,
खैर मेरी तो मुस्कुराहट थी।
Tag:
Quote Writer
Like
Share
1 Like
·
1 Comment
· 43 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
पूनम का चाँद (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
तस्वीर बदल रही है (काव्य-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
नवा रद्दा (कविता-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
तइहा ल बइहा लेगे (कविता-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
परछाई के रंग (काव्य-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
सबक (लघुकथा-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
सौदा (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
जमीं के सितारे (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
बेहतर दुनिया के लिए (काव्य-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
मेला (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
You may also like these posts
नारी स्वाधीन बन
Anant Yadav
नववर्ष नवशुभकामनाएं
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
रास्ते की ठोकरों को मील का पत्थर बनाता चल
पूर्वार्थ
गठजोड़ नही है
Harinarayan Tanha
किस्तों में सोया है हमने
Diwakar Mahto
महबूबा
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
कविता
Rambali Mishra
*श्रीराम*
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
पदावली
seema sharma
किसी भी दीद
Dr fauzia Naseem shad
तुम जो रूठे किनारा मिलेगा कहां
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
अनोखे संसार की रचना का ताना बाना बुनने की परिक्रिया होने लगी
DrLakshman Jha Parimal
कम्प्यूटर
अरशद रसूल बदायूंनी
10. *असम्भव नहीं कुछ*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
हमें सकारात्मक और नकारात्मक के बीच संबंध मजबूत करना होगा, तभ
Ravikesh Jha
"फितरत"
Dr. Kishan tandon kranti
बेगुनाही एक गुनाह
Shekhar Chandra Mitra
"भेड़ों के झुंड" और "भाड़े की भीड़" में एकमात्र अंतर यह है कि भ
*प्रणय*
हम दर्द
Ashwini sharma
कभी तो ख्वाब में आ जाओ सूकून बन के....
shabina. Naaz
पाने की चाहत नहीं हो
Sonam Puneet Dubey
शुक्रिया पेरासिटामोल का...! ❤
शिवम "सहज"
अश्क मुस्कुरा दें ....
sushil sarna
आप क्या समझते है जनाब
शेखर सिंह
एक इंसान तुमसे बात करते हुए तुम्हारी दस खूबी बता दे. तुम्हार
Ritesh Deo
वो केवल श्रृष्टि की कर्ता नहीं है।
सत्य कुमार प्रेमी
मैं रूठ जाता हूँ खुद से, उससे, सबसे
सिद्धार्थ गोरखपुरी
जिस क्षण का
Chitra Bisht
संजीवनी
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
Loading...