फ़लसफ़े - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
लोकतंत्र तभी तक जिंदा है जब तक आम जनता की आवाज़ जिंदा है जिस
तुम्हें पता है तुझमें मुझमें क्या फर्क है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
रखो वक्त निकाल कर नजदीकिया और निभा लो अपनापन जो भी रिश्ते
You learn when to read between the lines of true friendship
" बादल या नैना बरसे "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
हमारे बुज़ुर्ग अनमोल हैं ,
सलाम सलाम, उन शहीदों को सलाम
ख़यालों को गर अपने तुम जीत लोगे
(रफी साहब की स्मृति को नमन)
नूर –ऐ- चश्म ( अमर गायक स्व. मुहम्मद रफ़ी साहब के जन्म दिवस पर विशेष )
मतळबी मिनखं
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
अग्नि से ना जलने का था जिस होलिका को वरदान,
काकी से काका कहे, करके थोड़ा रोष ।