फ़क़्त ज़हनी तवाज़ुन से निकलती हैं तदबीरें,
माँ और बेटी.. दोनों एक ही आबो हवा में सींचे गए पौधे होते हैं
और कितनें पन्ने गम के लिख रखे है साँवरे
*सकल विश्व में अपनी भाषा, हिंदी की जयकार हो (गीत)*
किया है यूँ तो ज़माने ने एहतिराज़ बहुत
Save water ! Without water !
पर हर दर्द की दवा कहाँ मिलती है....
कवि के हृदय के उद्गार
Anamika Tiwari 'annpurna '
कभी तू ले चल मुझे भी काशी
*जब हो जाता है प्यार किसी से*
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
सूरज चाचा ! क्यों हो रहे हो इतना गर्म ।
कौड़ी कौड़ी माया जोड़े, रटले राम का नाम।
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
भारत के वायु वीर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर