Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Apr 2024 · 1 min read

काकी से काका कहे, करके थोड़ा रोष ।

काकी से काका कहे, करके थोड़ा रोष ।
व्यर्थ खर्च को रोकिए , बीता संचित कोष।
बीता संचित कोष , व्यर्थ के रोको खर्चे ।
देखो मेरी जेब , भरे सब व्यय के पर्चे ।
मानो भी अब जान, बचा ना कुछ भी बाकी ।
छोड़ो भी तकरार , मान भी जाओ काकी ।

सुशील सरना / 28-4-24

65 Views

You may also like these posts

*जोड़कर जितना रखोगे, सब धरा रह जाएगा (हिंदी गजल))*
*जोड़कर जितना रखोगे, सब धरा रह जाएगा (हिंदी गजल))*
Ravi Prakash
दोहा पंचक. . . संघर्ष
दोहा पंचक. . . संघर्ष
sushil sarna
सपनों का पर्दा जब जब उठा
सपनों का पर्दा जब जब उठा
goutam shaw
अक्सर देखते हैं हम...
अक्सर देखते हैं हम...
Ajit Kumar "Karn"
*हम चले तुम हमे अंतिम विदाई देना*
*हम चले तुम हमे अंतिम विदाई देना*
Er.Navaneet R Shandily
परिश्रम
परिश्रम
Neeraj Agarwal
वर और वधू पक्ष का लोभ
वर और वधू पक्ष का लोभ
अलका बलूनी पंत
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
महालक्ष्मी छंद आधृत मुक्तक
महालक्ष्मी छंद आधृत मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
"उन्हें भी हक़ है जीने का"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रेमानुभूति
प्रेमानुभूति
Akash Agam
मजदूर का दर्द (कोरोना काल )– गीत
मजदूर का दर्द (कोरोना काल )– गीत
Abhishek Soni
सांसें
सांसें
निकेश कुमार ठाकुर
होने को अब जीवन की है शाम।
होने को अब जीवन की है शाम।
Anil Mishra Prahari
कहते हैं लोग भूल जाया कर वो बातें जो मन मे चुभन जगाती हैं...
कहते हैं लोग भूल जाया कर वो बातें जो मन मे चुभन जगाती हैं...
पूर्वार्थ
मुझे मेरे अहंकार ने मारा
मुझे मेरे अहंकार ने मारा
Sudhir srivastava
मैं
मैं
Ajay Mishra
कुर्बानी!
कुर्बानी!
Prabhudayal Raniwal
2975.*पूर्णिका*
2975.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नज़्म
नज़्म
Jai Prakash Srivastav
महात्मा गांधी
महात्मा गांधी
Rajesh
*बादल*
*बादल*
Santosh kumar Miri
समय का आभाव है
समय का आभाव है
अमित कुमार
किभी भी, किसी भी रूप में, किसी भी वजह से,
किभी भी, किसी भी रूप में, किसी भी वजह से,
शोभा कुमारी
आज के जमाने में
आज के जमाने में
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
किसी ने हमसे कहा कि सरोवर एक ही होता है इसमें हंस मोती ढ़ूँढ़त
किसी ने हमसे कहा कि सरोवर एक ही होता है इसमें हंस मोती ढ़ूँढ़त
Dr. Man Mohan Krishna
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
फांसी का फंदा भी कम ना था,
फांसी का फंदा भी कम ना था,
Rahul Singh
#स्मृति_के_गवाक्ष_से-
#स्मृति_के_गवाक्ष_से-
*प्रणय*
फटा आँचल- जली रोटी
फटा आँचल- जली रोटी
Usha Gupta
Loading...