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12 Oct 2024 · 1 min read

“आठवाँ अजूबा “

“आठवाँ अजूबा ”
ये आठवाँ अजूबा नहीं तो और क्या है कि लोग अपने सुख का त्याग कर देते हैं, लेकिन अपने दुःख का नहीं। जो अपने दुःख का त्याग नहीं कर सकता, वो जिन्दगी में कुछ नहीं कर सकता।

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