Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Oct 2024 · 3 min read

अधर्म पर धर्म की विजय: आज के संदर्भ में एक विचारशील दृष्टिकोण

अधर्म पर धर्म की विजय: आज के संदर्भ में एक विचारशील दृष्टिकोण

“अधर्म पर धर्म की विजय” केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं है, बल्कि यह जीवन का एक शाश्वत सत्य है। रामायण में, भगवान राम ने अधर्मी रावण का अंत किया और धर्म की स्थापना की। रावण की हार इस बात का प्रतीक है कि चाहे व्यक्ति कितना भी शक्तिशाली और ज्ञानी क्यों न हो, अगर वह अधर्म के मार्ग पर चलेगा, तो उसका पतन निश्चित है। आज के समय में, इस संदेश का महत्व और भी बढ़ गया है, क्योंकि हमारे समाज में हर गली-चौबारे में “रावण” जैसे दुराचारी मौजूद हैं, और अधर्म नए-नए रूपों में उभर रहा है।

रावण: एक जटिल चरित्र

रावण एक विद्वान ब्राह्मण, महापंडित और शक्तिशाली राजा था, लेकिन उसकी सबसे बड़ी कमजोरी उसका अहंकार और अधर्म था। उसने माता सीता का हरण किया, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि उसने सीता माता को कभी भी गलत दृष्टि से नहीं देखा। रावण ने हमेशा मातृशक्ति का सम्मान किया। यहां तक कि जब उसने सीता का अपहरण किया, तब भी उसने उन्हें अपने महल में बंधक बनाकर रखा और उनके प्रति मर्यादा का पालन किया। रावण के इस पहलू को आज के समाज में कई बार अनदेखा कर दिया जाता है, जबकि उसका पतन अधर्म के कारण हुआ था, न कि उसकी निजी गलतियों के कारण।

आज का रावण: दुराचार का नया रूप

आज का रावण पहले से कहीं अधिक खतरनाक और विकृत हो गया है। वह न केवल महिलाओं का शोषण करता है, बल्कि उनके सम्मान और सुरक्षा को भी चुनौती देता है। जहां रावण ने केवल सीता का हरण किया और उनके प्रति सम्मान बनाए रखा, आज के “रावण” हर दिन समाज में महिलाओं और बालिकाओं के प्रति दुराचार और हिंसा का सहारा लेते हैं।

आज का रावण नारी सम्मान की परवाह नहीं करता, बल्कि महिलाओं को भोग की वस्तु समझता है। सामाजिक संस्थाओं, सरकारी व्यवस्थाओं और कानूनी प्रक्रियाओं के बावजूद महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों में कमी नहीं आ रही है। महिलाओं का शारीरिक शोषण, बलात्कार, अपहरण, दहेज हिंसा और हत्या जैसे अपराध समाज के हर कोने में हो रहे हैं। यह स्थिति स्पष्ट रूप से दिखाती है कि हमारे समाज में “अधर्म” का बोलबाला है, और धर्म का अनुसरण केवल शब्दों तक सीमित रह गया है।

धर्म और अधर्म का संघर्ष

धर्म और अधर्म का संघर्ष केवल धार्मिक या पौराणिक कथाओं तक सीमित नहीं है। यह संघर्ष हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है, जहां हमें हर दिन यह तय करना होता है कि हम धर्म के मार्ग पर चलेंगे या अधर्म के। धर्म का सीधा अर्थ है सच्चाई, न्याय, और नैतिकता का पालन करना। दूसरी ओर, अधर्म का मतलब है नैतिकता से भटक जाना, अपने स्वार्थ के लिए दूसरों का शोषण करना और बुराई को बढ़ावा देना।

आज के समाज में, अधर्म हर रूप में मौजूद है—चाहे वह भ्रष्टाचार हो, महिलाओं पर अत्याचार हो, जातिगत भेदभाव हो, या गरीबों और निर्बलों का शोषण। हर क्षेत्र में, रावण से भी बड़े दुराचारी और अन्यायी बैठे हुए हैं, जो समाज के नैतिक ढांचे को कमजोर कर रहे हैं। वे दूसरों के अधिकारों का हरण कर रहे हैं, चाहे वह महिला का सम्मान हो या समाज में किसी कमजोर वर्ग का अस्तित्व।

अधर्म पर विजय: आज की जरूरत

आज के समय में “अधर्म पर धर्म की विजय” की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। हमें न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में धर्म का पालन करना चाहिए, बल्कि समाज में व्याप्त अन्याय, अत्याचार और शोषण के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। यह समय है कि हम रावण के प्रतीकात्मक पुतले को जलाने से आगे बढ़कर समाज के असली रावणों का सामना करें।

महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना, और न्याय के प्रति प्रतिबद्ध रहना, यही सच्चे धर्म के मार्ग हैं। हमें अपने अंदर के रावण—क्रोध, अहंकार, लोभ, और अन्य बुराइयों—को पराजित करना होगा।

अधर्म पर धर्म की विजय केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं है, यह एक नैतिक और सामाजिक सिद्धांत है जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना त्रेतायुग में था। आज के समाज में, जहां हर कोने में नए-नए रावण उत्पन्न हो रहे हैं, हमें भगवान राम के आदर्शों का पालन करते हुए धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए। यही वास्तविक विजय होगी, और यही सच्चे अर्थों में दशहरा का संदेश है—अधर्म का अंत और धर्म की स्थापना।

आइए, हम सब मिलकर इस पावन पर्व के असली मर्म को समझें और समाज में धर्म की स्थापना के लिए अपना योगदान दें।

डॉ निशा अग्रवाल
शिक्षाविद, पाठयपुस्तक लेखिका जयपुर राजस्थान

1 Like · 109 Views

You may also like these posts

🌸मन की भाषा 🌸
🌸मन की भाषा 🌸
Mahima shukla
वामा हूं
वामा हूं
indu parashar
लोकतंत्र
लोकतंत्र
करन ''केसरा''
“अनोखी शादी” ( संस्मरण फौजी -मिथिला दर्शन )
“अनोखी शादी” ( संस्मरण फौजी -मिथिला दर्शन )
DrLakshman Jha Parimal
लेखनी का सफर
लेखनी का सफर
Sunil Maheshwari
हिन्दी ग़ज़ल के कथ्य का सत्य +रमेशराज
हिन्दी ग़ज़ल के कथ्य का सत्य +रमेशराज
कवि रमेशराज
"मैं आज़ाद हो गया"
Lohit Tamta
#अनुभूत_अभिव्यक्ति
#अनुभूत_अभिव्यक्ति
*प्रणय*
" रोटियाँ "
Dr. Kishan tandon kranti
झूठ बोल नहीं सकते हैं
झूठ बोल नहीं सकते हैं
Sonam Puneet Dubey
तेरी ये बिंदिया
तेरी ये बिंदिया
Akash RC Sharma
- तुझसे दिल लगाया मेने -
- तुझसे दिल लगाया मेने -
bharat gehlot
आजकल की स्त्रियां
आजकल की स्त्रियां
Abhijeet
****हमारे मोदी****
****हमारे मोदी****
Kavita Chouhan
शीर्षक - मेरा भाग्य और कुदरत के रंग
शीर्षक - मेरा भाग्य और कुदरत के रंग
Neeraj Agarwal
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
4344.*पूर्णिका*
4344.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
बिरखा
बिरखा
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मां -सही भूख तृष्णा खिलाया सदा
मां -सही भूख तृष्णा खिलाया सदा
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
चंचल मेरे ये अक्स है
चंचल मेरे ये अक्स है
MEENU SHARMA
कपट
कपट
Sanjay ' शून्य'
उस पार
उस पार
Meenakshi Madhur
चढ़ते सूरज को सभी,
चढ़ते सूरज को सभी,
sushil sarna
विदाई
विदाई
Aman Sinha
एक पल में ये अशोक बन जाता है
एक पल में ये अशोक बन जाता है
ruby kumari
एक उजली सी सांझ वो ढलती हुई
एक उजली सी सांझ वो ढलती हुई
नूरफातिमा खातून नूरी
मिथिलाक सांस्कृतिक परम्परा
मिथिलाक सांस्कृतिक परम्परा
श्रीहर्ष आचार्य
शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस
पूर्वार्थ
सत्य की खोज
सत्य की खोज
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...