Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Oct 2024 · 4 min read

बातें जो कही नहीं गईं

पुस्तक समीक्षा
काव्य संग्रह – “बातें जो कही नहीं गईं”

समीक्षक = सुधीर श्रीवास्तव गोण्डा (उ.प्र.)

सरल सहज मृदुभाषी कवयित्री मीनाक्षी सिंह की “बातें जो कहीं नहीं गई” यथार्थ बोध कराती रचनाओं का काव्य संग्रह है। ईमानदारी से कहा जाय तो पार्श्व में ढकी छुपी बातें आम जन के बीच लाना भी बड़े हौसले का काम है, जिसे कहने का साहस मीनाक्षी सिंह ने अपने काव्य संग्रह के माध्यम से दिखाया है। अंगिरा सिंह की सोच और कला का परिणाम आकर्षक मुख्यपृष्ठ के रूप में सामने है।

समर्पण की ये पंक्तियां ….
कृपा माँ जगदंबे की और माँ सरस्वती का वरदान यही…
अमर रहे आशीर्वाद उनका जीत तो तभी मिली……
संस्कारों और निर्मल सोच का परिचायक है।
मेरा पहला पन्ना में कवयित्री का मानना है कि हम रोजाना नई सुबह की सूरज की करने का दिल खोलकर स्वागत करते हैं और पुराने नए अनुभवों के जरिए मिले शब्दों से आखिरकार कविता लिख देते हैं। दरअसल “बातें जो कही नहीं गईं” मेरी कल्पना रुपी शब्दों का वो तत्व है, जो यथार्थवादी सोच में तब्दील होकर कविता संग्रह के रूप में आप सभी के सामने है।
“कुछ लिखा है आपके लिए” में मीनाक्षी सिंह ने अपनी कविता संग्रह ‘बातें जो कही नहीं गई’ जिसे कहने का साहस कम लोग ही कर पाते हैं।इनकी कविताये ज़िंदगी का वह लिफ़ाफ़ा है, जब इसे आप पढेंगे तब आपको भी निश्चित ही नया अनुभव होगा। वे ये भी स्पष्ट करती हैं कि ये सफर थोड़ा दुर्गम है, तो थोड़ा सुकून भरा…. थोड़ी कल्पनाओं का पुट होते हुए कुछ कविताएं थोड़ी यथार्थवादी, थोड़ा प्रेम तो थोड़ा विरह…. भी है इस संग्रह की कविताओं में।
संग्रह के नाम की कविता की ये पंक्तियां चिंतन कराने में समर्थ हैं, चँ द पंक्तियां बानगी स्वरूप देखिए…
किस्सों में बँटी कहानी एक जैसी….
जो कही भी नहीं गई
और सुनी भी नहीं गई
समझी भी नहीं गई
दफन हो गई
दफना दी गई
इसलिए वो सचमुच में कहीं नहीं गईं।

भावनात्मक अभिव्यक्तियों से मिलन की डोर थामे, भाई बहन के रिश्ते की पराकाष्ठा का बखान कुछ इन पंक्तियों में मिलता है ….
वो कल को हमारे
आज में मिला कर चलती है,
यादों और वादों का यही सफर है,
भाई बहन के अनमोल रिश्ते का।

वक्त का खूबसूरत चित्र खींचते हुए मीनाक्षी जी लिखती हैं……
वक्त हमें भी दे गया है,
मुझसे मेरा ‘मैं’ ले गया और
मेरा अंश मुझे दे गया।

इश्क के बारे में कवयित्री कितनी साफगोई से स्वीकार करती है….
कितना एक तरफा होता है
ये दिलों का कारोबार,
जीतकर भी ये दिल
सब हार जाता हर बार।

मृगतृष्णा की कुछ पंक्तियां आपको अपनी महसूस कराने की कोशिश जैसी है….
मन्नतों के धागे बाँधते-बाँधते
पेड़ और मंदिरों को ढक दिया मैंने,

एक प्याली चाय के कुछ अंश…..आपकी तलब बढ़ा सकती हैं…
एक प्याली चाय ,
खुशी हो या गम ,
साथ देती है हरदम ,

मुक्ति की छटपटाहट को रेखांकित करते हुए कवयित्री की ये पंक्तियां सतर्क करती हैं….
बहुत आजमाइश हो गई
अब और नहीं,
अब तो बस आजादी ही चाहिए
ना मिलें तो,
फिर मौत की आगोश ही सही है।

प्रार्थना में एक विशिष्ट तरह की ईश्वर से प्रार्थना आपको भी निश्चित सोचने को बिबस करेगी। बानगी के तौर पर ये पंक्तियां…..
हुआ बहुत कुछ इंसानों से गलत है
मगर हे भगवन तू सबसे अलग है
ये भटकते लोग, नजरें चुराते अपने
डरते हुए लोग, मरते हुए लोग
हाथ उठाकर आप से पनाह मांगते हैं।

संग्रह की अंतिम रचना कुछ छूट गया जैसे बहुत कुछ कहकर भी छूट जाने का अफसोस प्रकट करता है। इस रचना में माँ के गड्मड् वात्सल्य भावों को शब्द देना आसान नहीं होता। फिर भी मातृशक्ति मीनाक्षी ने कैसे इन शब्दों को उकेरा होगा, यह सोचकर मेरे शब्द मौन हो रहें। क्योंकि……
कुछ रिश्तों को अलविदा कहना
आसान नहीं होता है,
पर कहना जरूरी होता है।

और अपने पहले काव्य संग्रह में कवयित्री ने हर जरूरी बात कहने का साहस दिखाया है। जिसे मेरे विचार से एक मातृशक्ति के लिए इतना आसान भी नहीं होता। फिर भी मीनाक्षी जी ने दृढ़ता से वो कहा जो जरुरी था या है।

महज 38 रचनाओं को समेटे संग्रह की रचनाएं ‘बातें जो कहीं नहीं गई’ से शुरू होकर ‘कुछ छूट गया” पर जाकर ठहर गईं।
अन्य रचनाओं में दुआएं ,जन्मदिन, वक्त ,अंदाजा ही नहीं हुआ, जिंदगी, तुम खो गए ,मंजिल से प्यारा रास्ता, इश्क, दर्द ए दिल, ढलती शाम, रेगिस्तान में सफर, उलझी पहेली, ख्वाहिश, दिल्लगी, नादान यह दिल, मुक्ति, आराध्य, मुखौटा, आवारा दिल, दोस्त आदि अन्य सभी रचनाएं बहुत सुंदर हैं। कविताओं में प्रवाहमय तरलता और बेबाकी पाठकों को पसन्द आयेगी। सरल, सहज शब्दों में सारगर्भित बातें कही गई है, जो बहुत आसान नहीं होता। भाषा और कथ्य के साथ शब्दों का चयन भावपूर्ण कवयित्री की आमजन को ध्यान में रखकर लिखने का अहसास कराती प्रतीत है। प्रेम, सौंदर्य, विरह जीवन के विभिन्न पहलुओं को लेकर लिखी गई कविताएं पाठकों को विविधताओं से जोड़ने में सफल दिखाई देती हैं।
पुस्तक के अंतिम कर पृष्ठ पर कवयित्री का संक्षिप्त जीवन परिचय उनके बहुआयामी व्यक्तित्व का आइना सरीखा लगता है ।

मीनाक्षी सिंह के प्रस्तुत पहले काव्य संग्रह की रचनाएं उनकी जिजीविषा स्पष्टवादिता को दर्शाती है। मेरी ओर से बधाइयां, मंगल कामनाओं के साथ उनके पहले काव्य संग्रह की शुभेच्छा। साथ ही विश्वास है कि विभिन्न क्षेत्रों में तमाम व्यस्तताओं के बीच उनकी लेखनी निरंतर नव अनुभवों के साथ सतत अग्रसर रहकर आने वाले समय में अपनी पहचान बनाने में सक्षम होगी और प्रस्तुत काव्य संग्रह नए आयाम के साथ पाठकों के मन में उतरने में समर्थ हो, यही कामना है।
अशेष स्नेहिल शुभकामनाओं सहित……..

1 Like · 110 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

परछाई
परछाई
krupa Kadam
अमावस सी है तेरी जुल्फें।
अमावस सी है तेरी जुल्फें।
Rj Anand Prajapati
3200.*पूर्णिका*
3200.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आध्यात्मिक शक्ति व नैतिक मूल्यों से ध्यान से मानसिक शांति मि
आध्यात्मिक शक्ति व नैतिक मूल्यों से ध्यान से मानसिक शांति मि
Shashi kala vyas
शुभ मंगल हुई सभी दिशाऐं
शुभ मंगल हुई सभी दिशाऐं
Ritu Asooja
रक्तदान ही महादान
रक्तदान ही महादान
Anil Kumar Mishra
- सेलिब्रेटी की पीड़ा सेलिब्रेटी ही जाने -
- सेलिब्रेटी की पीड़ा सेलिब्रेटी ही जाने -
bharat gehlot
5. Festive Light
5. Festive Light
Ahtesham Ahmad
दिल टूटा
दिल टूटा
Ruchika Rai
ग़ज़ल _ यादों में बस गया है।
ग़ज़ल _ यादों में बस गया है।
Neelofar Khan
रोक दो ये पल
रोक दो ये पल
Surinder blackpen
किया अपराध न फिर भी    जुल्म सहा करतें हैं ।
किया अपराध न फिर भी जुल्म सहा करतें हैं ।
Vindhya Prakash Mishra
🙅आज का मैच🙅
🙅आज का मैच🙅
*प्रणय प्रभात*
मिलना यह हमारा, सुंदर कृति है
मिलना यह हमारा, सुंदर कृति है
Suryakant Dwivedi
नैन
नैन
TARAN VERMA
त्योहार
त्योहार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
आप हम से ख़फ़ा नहीं होना।
आप हम से ख़फ़ा नहीं होना।
Dr fauzia Naseem shad
"इसी का नाम जीवन है"
Dr. Kishan tandon kranti
चूल्हे पर रोटी बनाती माँ
चूल्हे पर रोटी बनाती माँ
अश्विनी (विप्र)
वो एक एहसास
वो एक एहसास
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
हमारा अन्नदाता
हमारा अन्नदाता
meenu yadav
#शीर्षक:-तो क्या ही बात हो?
#शीर्षक:-तो क्या ही बात हो?
Pratibha Pandey
पता ना था के दीवान पे दर्ज़ - जज़बातों  के नाम भी होते हैं 
पता ना था के दीवान पे दर्ज़ - जज़बातों  के नाम भी होते हैं 
Atul "Krishn"
‌everytime I see you I get the adrenaline rush of romance an
‌everytime I see you I get the adrenaline rush of romance an
Chaahat
ये जो मेरी आँखों में
ये जो मेरी आँखों में
हिमांशु Kulshrestha
गांवों के इन घरों को खोकर क्या पाया हमने,
गांवों के इन घरों को खोकर क्या पाया हमने,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पहला कदम...
पहला कदम...
Manisha Wandhare
एक कुंडलियां छंद-
एक कुंडलियां छंद-
Vijay kumar Pandey
दिल के किसी कोने में
दिल के किसी कोने में
Chitra Bisht
गंगा स्नान
गंगा स्नान
विशाल शुक्ल
Loading...