Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Oct 2024 · 2 min read

दो अक्टूबर – दो देश के लाल

दो अक्टूबर का ये दिन दो महापुरुषों में समाया था।
एक लपेटे आधी धोती लकुटी लेके आया था।
एक ने भरे अकाल में गमले में अनाज उगाया था।
एक ने अपने सीने में स्वदेशी स्वाभिमान को जगाया था।
जब अंग्रेजों ने उन्हें भरी ट्रेन से फेकवाया था।
छुआछूत अश्वेत रूपी भाव को जगाया था।
वही से आई आंधी दिल में।
गांधी को बनाया था।
अंग्रेजो की सत्ता को अहिंसा से हिलाया था।
करके आंदोलन जन जन में देशप्रेम को बढ़ाया था।
गांधी जी ने अंग्रेजों के दांत खट्टे करवाया था।
करो या मरो का नारा देकर अंदर जुनून जगाया था।
गुलामी की जंजीरों से जिसने हमे छुड़ाया था।
एक ने पाकिस्तान के टैंको को सरेआम उड़ाया था।
जय जवान जय किसान का नारा जिसने लगाया था।
उपवास रखो हफ्ता में एक दिन
अन्न का मोल बताया था।
देश को गंभीर संकट से जिसने सदा बचाया था।
हम रहे या न रहे ये देश रहना चाहिए।
हर वक्त भारत की ज़मी पर ये तिरंगा फहरना चाहिए।
वक्तव्य है ये भारत लाल ।
लाल बहादुर शास्त्री का।
बन के शांति पुरुष नाम से।
जन जन में छाया था।
देशभूमि की रक्षा में हर कर्तव्य निभाया था।
एक लपेटे आधी धोती लकुटी लेके आया था।
साबरमती के लाल ने अंग्रेजो को भगाया था।
मजलूमों गरीबों के अत्याचार को मिटाया था।
जिसने अपने आंदोलन से अंग्रेजो को ललकारा था।
दुबला पतला आदमी वो जिसने बीड़ा उठाया था।
अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन को चलाया था।
वही से देश की आजादी का परचम लहराया था।
गांधी जी की आंधी ने अंग्रेजो को भगाया था।
हों गए भगत, आज़ाद न्योछावर।
कितनो ने जान गवाया था।
एक एक लहू की बूंदों ने आजादी को सींचा था।
हुआ हकीकत वही जो सपनो में उन्होंने सोचा था।
अंग्रेजो के मंसूबों को जिन्होंने अपने पैरो तले रौंदा था।
एक मरा हे राम कहके नाथूराम की गोली से।
एक को ज़हर से मारा गया ताशकंद में हमझोली से।
देश न कभी गुलाम बना बम तोप
बारूद हथियारों से।
देश को गुलाम बनाया था चंद देश के ही गद्दारों ने।
मिल जाती आजादी हमे 1857 की क्रांति में।
साथ दिया कुछ अंग्रेजो का देशी रियासत वालो ने।
सिंधिया, गायकवाड ने बेच देश की शान बाजारों में।
लक्ष्मीबाई,तात्या टोपे, मंगल पांडे ही थे होनहारों में।
देश को बेच डाला था देश के चंद ही गद्दारों ने।
महात्मा गांधी, राष्ट्रपिता, बापू अनेक संबोधन है।
देश को आजाद कराया गांधी का आंदोलन है।
आओ एक साथ प्रण करें हम सब अपने मनसा से।
है न कोई शक्ति बड़ी प्रेम और अहिंसा से।

भारत माता की जय।
महात्मा गांधी अमर रहे।
लाल बहादुर शास्त्री अमर रहे।

RJ Anand Prajapati ( Poet )

Language: Hindi
147 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

चौपाई छंद-वचन
चौपाई छंद-वचन
Sudhir srivastava
सीढ़ी बनकर मंज़िल तक पहुंचाया हमने,
सीढ़ी बनकर मंज़िल तक पहुंचाया हमने,
करन ''केसरा''
नदी स्नान (बाल कविता)
नदी स्नान (बाल कविता)
Ravi Prakash
गुलामी के पदचिन्ह
गुलामी के पदचिन्ह
मनोज कर्ण
सुंदरता अपने ढंग से सभी में होती है साहब
सुंदरता अपने ढंग से सभी में होती है साहब
शेखर सिंह
डॉ अरुण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक
डॉ अरुण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कुछ मेरा तो कुछ तो तुम्हारा जाएगा
कुछ मेरा तो कुछ तो तुम्हारा जाएगा
अंसार एटवी
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बस
बस
विशाल शुक्ल
मुझे ‘शराफ़त’ के तराजू पर न तोला जाए
मुझे ‘शराफ़त’ के तराजू पर न तोला जाए
Keshav kishor Kumar
स्नेहों की छाया में रहकर ,नयन छलक ही जाते हैं !
स्नेहों की छाया में रहकर ,नयन छलक ही जाते हैं !
DrLakshman Jha Parimal
दर्द  बन कर  समाँ  जाते  दिल में कहीं,
दर्द बन कर समाँ जाते दिल में कहीं,
Neelofar Khan
"जो इंसान कहलाने लायक नहीं,
पूर्वार्थ
"पूछो जरा"
Dr. Kishan tandon kranti
दिल का क्या है   ....
दिल का क्या है ....
sushil sarna
बुंदेली दोहा-पखा (दाढ़ी के लंबे बाल)
बुंदेली दोहा-पखा (दाढ़ी के लंबे बाल)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुलाकातें हों या गुफ़्तगू
मुलाकातें हों या गुफ़्तगू
हिमांशु Kulshrestha
परीक्षाएं आती रहेंगी जाती रहेंगी,
परीक्षाएं आती रहेंगी जाती रहेंगी,
जय लगन कुमार हैप्पी
Preshan zindagi
Preshan zindagi
रुचि शर्मा
खिले फूलों में तुम्हें ,
खिले फूलों में तुम्हें ,
रुपेश कुमार
अब मै ख़ुद से खफा रहने लगा हूँ
अब मै ख़ुद से खफा रहने लगा हूँ
Bhupendra Rawat
..
..
*प्रणय प्रभात*
प्रशंसा नहीं करते ना देते टिप्पणी जो ,
प्रशंसा नहीं करते ना देते टिप्पणी जो ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
अपना यह गणतन्त्र दिवस, ऐसे हम मनायें
अपना यह गणतन्त्र दिवस, ऐसे हम मनायें
gurudeenverma198
यथार्थ का सीना
यथार्थ का सीना
Dr MusafiR BaithA
भारत के नव-निर्माण में श्रीमद्भगवद्गीता का योगदान (Contribution of Shrimad Bhagwat Gita in the reconstruction of India)
भारत के नव-निर्माण में श्रीमद्भगवद्गीता का योगदान (Contribution of Shrimad Bhagwat Gita in the reconstruction of India)
Acharya Shilak Ram
4131.💐 *पूर्णिका* 💐
4131.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
प्यारा बसन्त
प्यारा बसन्त
Anil Kumar Mishra
रागी के दोहे
रागी के दोहे
राधेश्याम "रागी"
फूल अब खिलते नहीं , खुशबू का हमको पता नहीं
फूल अब खिलते नहीं , खुशबू का हमको पता नहीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...