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29 Sep 2024 · 1 min read

कनक मंजरी छंद

कनक मंजरी छंद
कुल 23 वर्ण,
प्रथम 4 वर्ण लघु,6 भगण,अंत में एक गुरु अनिवार्य

अतिशय प्रेम जहाँ बरसे हरि कृष्ण वहाँ मुरलीधर हैं।
मुकुट सदा अति शोभित मस्तक गावत नाचत श्रीधर हैं।
अनुपम मोहक स्नेहिल श्याम रिझावत गोपिन साँवर हैं।
जबतक सात्विक प्रेम धरा पर द्वापर-श्याम मनोहर हैं।

काव्य रत्न डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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