Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Sep 2024 · 3 min read

बहुत फुर्सत मै पढ़ना आनंद आ जायेगा……

बहुत फुर्सत मै पढ़ना आनंद आ जायेगा……

2024 से 1960 के दशक अर्थात बचपन की तरफ़ जो 50 को पार कर गये हैं या करीब हैं उनके लिए यह खास है…!!

मेरा मानना है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमारी पीढ़ी ने देखा है हमारे बाद की किसी पीढ़ी को “शायद ही ” इतने बदलाव देख पाना संभव हो

हम वो आखिरी पीढ़ी हैं जिसने बैलगाड़ी से लेकर सुपर सोनिक जेट देखे हैं। बैरंग ख़त से लेकर लाइव चैटिंग तक देखा है और “वर्चुअल मीटिंग जैसी” असंभव लगने वाली बहुत सी बातों को सम्भव होते हुए देखा है।

हम वो पीढ़ी हैं

जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं हैं। ज़मीन पर बैठकर खाना खाया है। प्लेट में डाल डाल कर चाय पी है।

हम वो ” लोग ” हैं ?

जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे जैसे खेल , खेले हैं ।

हम आखरी पीढ़ी के वो लोग हैं ?

जिन्होंने चांदनी रात में डीबरी, लालटेन या बल्ब की पीली रोशनी में होम वर्क किया है और दिन के उजाले में चादर के अंदर छिपा कर नावेल पढ़े हैं।

हम वही पीढ़ी के लोग हैं ?

जिन्होंने अपनों के लिए अपने जज़्बात खतों में आदान प्रदान किये हैं और उन ख़तो के पहुंचने और जवाब के वापस आने में महीनों तक इंतजार किया है।

हम उसी आखरी पीढ़ी के लोग हैं ?

जिन्होंने कूलर, एसी या हीटर के बिना ही बचपन गुज़ारा है। और बिजली के बिना भी गुज़ारा किया है।

हम वो आखरी लोग हैं ?

जो अक्सर अपने छोटे बालों में सरसों का ज्यादा तेल लगा कर स्कूल और शादियों में जाया करते थे।

हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं ?

जिन्होंने स्याही वाली दावात या पेन से कॉपी किताबें, कपडे और हाथ काले-नीले किये है। तख़्ती पर सेठे की क़लम से लिखा है और तख़्ती धोई है।

हम वो आखरी लोग हैं ?

जिन्होंने टीचर्स से मार खाई है और घर में शिकायत करने पर फिर मार खाई है।

हम वो आखरी लोग हैं ?

जो मोहल्ले के बुज़ुर्गों को दूर से देख कर नुक्कड़ से भाग कर घर आ जाया करते थे। और समाज के बड़े बूढों की इज़्ज़त डरने की हद तक करते थे।

हम वो आखरी लोग हैं ?

जिन्होंने अपने स्कूल के सफ़ेद केनवास शूज़ पर खड़िया का पेस्ट लगा कर चमकाया है!

हम वो आखरी लोग हैं

जिन्होंने गुड़ की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या लाल दंत मंजन या सफेद टूथ पाउडर इस्तेमाल किया है और कभी कभी तो नमक से या लकड़ी के कोयले से दांत साफ किए हैं।

हम निश्चित ही वो लोग हैं

जिन्होंने चांदनी रातों में, रेडियो पर BBC की ख़बरें, विविध भारती, आल इंडिया रेडियो, बिनाका गीत माला और हवा महल जैसे प्रोग्राम पूरी शिद्दत से सुने हैं।

हम वो आखरी लोग हैं

जब हम सब शाम होते ही छत पर पानी का छिड़काव किया करते थे।

उसके बाद सफ़ेद चादरें बिछा कर सोते थे।

एक स्टैंड वाला पंखा सब को हवा के लिए हुआ करता था।
सुबह सूरज निकलने के बाद…!!

हम वो आखिरी पीढ़ी है ,
मुझे गर्व है कि मैने ये पल जिए है।

84 Views

You may also like these posts

अमिर -गरीब
अमिर -गरीब
Mansi Kadam
!! सोपान !!
!! सोपान !!
Chunnu Lal Gupta
रक्तदान पर कुंडलिया
रक्तदान पर कुंडलिया
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
हमारी वफा
हमारी वफा
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
एक लघुकथा
एक लघुकथा
Mahender Singh
तेरी यादों के किस्से
तेरी यादों के किस्से
विशाल शुक्ल
"दर्द का फलसफा"
Dr. Kishan tandon kranti
"I'm someone who wouldn't mind spending all day alone.
पूर्वार्थ
" सुप्रभात "
Yogendra Chaturwedi
नाथ मुझे अपनाइए,तुम ही प्राण आधार
नाथ मुझे अपनाइए,तुम ही प्राण आधार
कृष्णकांत गुर्जर
दिल की कश्ती
दिल की कश्ती
Sakhi
Team India - Winning World Cup Read Wikipedia
Team India - Winning World Cup Read Wikipedia
Rj Anand Prajapati
रूस्वा -ए- ख़ल्क की खातिर हम जज़्ब किये जाते हैं ,
रूस्वा -ए- ख़ल्क की खातिर हम जज़्ब किये जाते हैं ,
Shyam Sundar Subramanian
पूस की रात
पूस की रात
Atul "Krishn"
आसान कहां होती है
आसान कहां होती है
Dr fauzia Naseem shad
..
..
*प्रणय*
ચાલો લડીએ
ચાલો લડીએ
Otteri Selvakumar
विदाई
विदाई
Ruchi Sharma
बात उनकी कभी टाली नहीं जाती हमसे
बात उनकी कभी टाली नहीं जाती हमसे
Dr Archana Gupta
मां वो जो नौ माह कोख में रखती और पालती है।
मां वो जो नौ माह कोख में रखती और पालती है।
शेखर सिंह
किसी और के आंगन में
किसी और के आंगन में
Chitra Bisht
* जीवन रथ **
* जीवन रथ **
Dr. P.C. Bisen
"नारी है तो कल है"
Pushpraj Anant
मोहब्बत
मोहब्बत
Dinesh Kumar Gangwar
काम ये करिए नित्य,
काम ये करिए नित्य,
Shweta Soni
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
सत्य क्या है?
सत्य क्या है?
Rambali Mishra
मोहब्बते
मोहब्बते
डिजेन्द्र कुर्रे
ग़ज़ल _ मुहब्बत के दुश्मन मचलते ही रहते ।
ग़ज़ल _ मुहब्बत के दुश्मन मचलते ही रहते ।
Neelofar Khan
*आम (बाल कविता)*
*आम (बाल कविता)*
Ravi Prakash
Loading...