सम्मान सी दुनिया में कोई चीज नहीं है,
Anamika Tiwari 'annpurna '
यह चाय नहीं है सिर्फ़, यह चाह भी है…
आजकल अकेले में बैठकर रोना पड़ रहा है
भरी महफिल में मै सादगी को ढूढ़ता रहा .....
1857 की क्रान्ति में दलित वीरांगना रणबीरी वाल्मीकि का योगदान / Role of dalit virangana Ranbiri Valmiki in 1857 revolution
कुछ औरतें खा जाती हैं, दूसरी औरतों के अस्तित्व । उनके सपने,
दोहा-विद्यालय
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दूसरों की राहों पर चलकर आप
23/197. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर की ग़ज़लें
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
पत्थर जैसे दिल से दिल लगाना पड़ता है,
राग द्वेश से दूर हों तन - मन रहे विशुद्ध।
"धीरज धरम मित्र अरु नारी।
चुरा लो हसीन लम्हो को उम्र से, जिम्मेदारियां मोहलत कब देती ह
शहर में ताजा हवा कहां आती है।