"व्यवहारों की जगह व्यापारों ने ले ली है ll
शीर्षक -क्यों तुमसे है प्रेम मुझे!
*आदमी यह सोचता है, मैं अमर हूॅं मैं अजर (हिंदी गजल)*
बाकी रह जाए याद में बाकी,
निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को कभी न छोड़े, क्योंकि लक्ष्य म
ग़ज़ल _ थी पुरानी सी जो मटकी ,वो न फूटी होती ,
- हम खुद को संभाल लेंगे -