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25 Aug 2024 · 1 min read

गरीबी पर लिखे अशआर

सारे इलज़ाम इसके माथे पर ,
मुफ़लिसी बे’ गुनाह नहीं होती ।

कोई हमदर्द हो गरीबी का ,
कोई सिल दे लिबास गुरबत का ।

वो हक़ीक़त पसंद होती है ,
मुफ़लिसी ख़्वाब थोड़ी देखेगी ।

राहतें ज़िंदगी को मिल जाती ,
भूख बे’हिस अगर नहीं होती ।

बात अच्छी है बस अमीरी की ,
तुम गरीबी का ज़िक्र मत करना ।

कोई गुरबत समझ नहीं सकता,
भूख हिम्मत निचोड़ देती है ।
डाॅ○फ़ौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: शेर
2 Likes · 102 Views
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