ये गुज़रे हुए पल जिसे वक़्त कहते हैं,
दो दिन की जिंदगी है अपना बना ले कोई।
आसानी से कोई चीज मिल जाएं
*चलें साध कर यम-नियमों को, तुम्हें राम जी पाऍं (गीत)*
झील किनारे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
तेरे साथ गुज़रे वो पल लिख रहा हूँ..!
"पापा की लाडली " क्या उन्हें याद मेरी आती नहीं