ये क्या से क्या होती जा रही?
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
हमारी गृहणियां वैज्ञानिक सी
रिस्क लेने से क्या डरना साहब
Jab tak kisi divar se dhakka nahi laga Tab tak me apne aap k
होठों पे वही ख़्वाहिशें आँखों में हसीन अफ़साने हैं,
विरक्ती
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
महिमां मरूधर री
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मेरे खाते में भी खुशियों का खजाना आ गया।
ग़ज़ल(नाम जब से तुम्हारा बरण कर लिया)