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1 Jul 2024 · 1 min read

सेवा निवृत काल

जीवन काल रहे सुखी,सुन्दर यह संसार |
राही दुर्गम पथ सभी,सहना ही व्यवहार |
सहना ही व्यवहार, मुक्त होकर दिन काटो |
रह सेहत संपन्न, खुशी पत्नी से बाटो |
कहें प्रेम कविराय,भरे खुशियों से आंगन|
रखिये उच्च विचार,सदा गौरव मय जीवन |

डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

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