Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Jun 2024 · 1 min read

हमे कोई नहीं समझ पाया है

हमें कोई नहीं समझ पाया है,क्या गिला हम करें,
ऐसा कोई खुदा ने हमारे लिए नहीं बनाया है।

पूछते हैं लोग हम कैसे हैं, मगर जो समझ जाए बिन बोले दिल का हाल, ऐसा कोई अभी तक जिंदगी में नहीं आया है।

नंगे पांव चलते रहे हम कांटों भरी राह पर,
फूलों ने भी हमपर कभी तरस नहीं खाया है।

प्यार किया है हमने इक शख्स को अपनी जान से ज्यादा, लेकिन उसने अपने दिल में किसी और को बसाया है।

हमने दिल में उनकी तस्वीर को रखा है,
मेंहदी से हाथों में उनका नाम लिखाया है।

सोचना छोड़ दे रोशनी उसके बारे में इतना,
उसने हर बार तेरा दिल ही दुखाया है।

1 Like · 122 Views

You may also like these posts

किसी के मर जाने पर उतना नहीं रोया करता
किसी के मर जाने पर उतना नहीं रोया करता
शिव प्रताप लोधी
✍️ कलम हूं ✍️
✍️ कलम हूं ✍️
राधेश्याम "रागी"
हे राम ।
हे राम ।
Anil Mishra Prahari
शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस
ARPANA singh
हुनर मौहब्बत के जिंदगी को सीखा गया कोई।
हुनर मौहब्बत के जिंदगी को सीखा गया कोई।
Phool gufran
वो कड़वी हक़ीक़त
वो कड़वी हक़ीक़त
पूर्वार्थ
कर्मों का फल यदि नहीं है मिलता
कर्मों का फल यदि नहीं है मिलता
Acharya Shilak Ram
गले लगा लेना
गले लगा लेना
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
* नई दृष्टि-परिदृश्य आकलन, मेरा नित्य बदलता है【गीतिका】*
* नई दृष्टि-परिदृश्य आकलन, मेरा नित्य बदलता है【गीतिका】*
Ravi Prakash
🙅चाहत🙅
🙅चाहत🙅
*प्रणय*
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
मूर्ख बनाकर काक को, कोयल परभृत नार।
मूर्ख बनाकर काक को, कोयल परभृत नार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
🙏😊🙏
🙏😊🙏
Neelam Sharma
मृदा प्रदूषण घातक है जीवन को
मृदा प्रदूषण घातक है जीवन को
Buddha Prakash
"मजदूर"
Dr. Kishan tandon kranti
ज़िंदगी की कँटीली राहों पर....
ज़िंदगी की कँटीली राहों पर....
Shweta Soni
स्कंदमाता
स्कंदमाता
मधुसूदन गौतम
अंतहीन
अंतहीन
Dr. Rajeev Jain
प्रेमिका और पत्नी
प्रेमिका और पत्नी
Acharya Rama Nand Mandal
21-- 🌸 और वह? 🌸
21-- 🌸 और वह? 🌸
Mahima shukla
शिव शक्ति
शिव शक्ति
Anup kanheri
पारिवारिक समस्या आज घर-घर पहुॅंच रही है!
पारिवारिक समस्या आज घर-घर पहुॅंच रही है!
Ajit Kumar "Karn"
4640.*पूर्णिका*
4640.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
!!! भिंड भ्रमण की झलकियां !!!
!!! भिंड भ्रमण की झलकियां !!!
जगदीश लववंशी
बड़ी मिहनत लगाते है करीने से सजाने में,
बड़ी मिहनत लगाते है करीने से सजाने में,
डी. के. निवातिया
मै बेरोजगारी पर सवार हु
मै बेरोजगारी पर सवार हु
भरत कुमार सोलंकी
#ਸੱਚ ਕੱਚ ਵਰਗਾ
#ਸੱਚ ਕੱਚ ਵਰਗਾ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
शब्द और दबाव / मुसाफ़िर बैठा
शब्द और दबाव / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
हरेली तिहार
हरेली तिहार
पं अंजू पांडेय अश्रु
कहा किसी ने
कहा किसी ने
Surinder blackpen
Loading...