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4 Jun 2024 · 1 min read

अनुज सुधीर

हे बन्धु!हमें है अचरज होता
तुम कितना मेहनत करते हो
अभी तो तुम इस पटल पर थे
उस पटल पर पहुंचे कैसे हो।
तेरे मेहनत को करूं सलाम
तेरी जीजिविषा को प्रणाम।
दुनिया में और भी नाम करो
साहस के बल पर तुम अपने
और भी अच्छा काम करो।
तुम सदा सदा बढ़ते जाओ
जीवन पथ पर बढ़ मुस्काओ
कोई भी बाधा न रोके तुम्हें
कोई दुर्जन न टोके तुम्हें
तुम विजय मार्ग चलते जाओ
सबके प्यारे बनते जाओ।
एक बहन देती आशीष तुम्हें
तुम शीघ्र स्वास्थ्य लाभ पाओ।

***पार्वती देवी “गौरा “देवरिया
दि.30.05.2024
*****
भ्राता-भगिनी का अमर प्रेम
**********************
सुन्दर पाती है बहना की,
कहने को रखा कुछ न बाकी
आशीष के सुन्दर शब्दों में,
लेखन भावों को अशेष किया
भ्राता प्रति अनुपम ममता का,
सुन्दर मिशाल है पेश किया
विजय मार्ग चलते जाओ भैया,
निशि दिन अरु सुबह-शाम
भ्राता-भगिनी के भावों को,
“राही” का है शत-शत प्रणाम

राणा प्रताप सिंह “राही”
गोण्डा
******
आ.पार्वती जी
मैं पूरी तरह से आप से सहमत हूँ
आदरणीय सुधीर दादा वाकई बहुत मेहनत करते हैं तथा शारीरिक दिक्कतें होते हुए भी साहित्यक साधना के लिए बहुत-बहुत समय देते हैं।
परमात्मा उन्हें लम्बी उम्र दे तथा स्वस्थ रखे।
बहुत-बहुत मंगलमय कामना के साथ
शिवनाथ सिंह शिव
रायबरेली
9450944945

Language: Hindi
115 Views
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