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25 Aug 2024 · 1 min read

पांडव संग गोपाल नहीं

पांडव संग गोपाल नहीं
******************
(वर्तमान विकट समस्या पर रचना)

एकत्र हुए हैं सारे कौरव
पांडव संग गोपाल नहीं,
सभा मध्य रो रही द्रौपदी
वसन वरद दयाल नहीं है।

पीट रहा जंघा दुर्योधन
भीम प्रतिज्ञा प्रकट नहीं
नेत्र बंद हैं पदासीनों के
आज समस्या विकट नहीं।

विचर रहे हैं वन अरण्य में
श्री विहीन यह सारे पांडव
शस्त्र हीन योद्धा हैं सारे
दिखता है विनाश तांडव।

लज्जा के चिथड़े हैं उड़ते
पर खुले केश की नहीं प्रतिज्ञा
हा माटी ! क्या होगा तेरा
गौरव की हो रही अवज्ञा।

विनाश लीला का रास है
विक्षिप्त हैं सारे दिग कहीं
आदर्शों की परिपाटी तोड़
श्वेत वसन काया डिग रही ।
~माधुरी महाकाश

Language: Hindi
102 Views
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