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31 May 2024 · 1 min read

निस्वार्थ प्रेम

राधा रानी अरे! कान्हा सुनो,
निस्वार्थ प्रेम किया है मैंने तुमसे,
चाहे तो आजमाकर देखलो।

बातें करता है जमाना , कि राधा रानी ने
कृष्ण को अनपा प्रेमी माना।
लेकिन कान्हा मेरी तो कोई इच्छा ही नहीं,
तेरे संग रहूं या बिछड़ी रहूं ऐसी कोई तम्माना नहीं।

कभी तुझ से कोई हक नहीं मांगा,
कोई गिला शिकवा नहीं किया।
फिर भी ये दुनिया तेरे संग मुझे पूजती है,
जबकि मै तो तेरे आगे कान्हा तिनका भी नहीं।

Language: Hindi
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