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29 May 2024 · 1 min read

दो जून की रोटी

#दो जून की रोटी

दो जून की रोटी रोज रोटी अनमोल हैं।
कड़ी मेहनत पसीने से रोटी पकाना है।।
कर्मवीर श्रमजीवी सीधे साधे जीवन को।
तवे की रोटी मेहनत कर सबको घर लाना है।।

करने से सब बोलने से रब मिलता है।
इन विचारों को रग रग में गाढना है।।
रूकना नहीं करते जावो बोलते जावो ।
हर परेशानियों से खुद लडना हैं।।

जो डरता है अक्सर इससे।
उसे हर रोज थोड़ा थोड़ा मरना है।।
हर मुश्किल वक्त धीरज रखना।
वक्त का सबके साथ अच्छा होना है।।

परेशानियों से लडना ही।
जीवन नीव गढना है।।
परेशानियां कहां पिछा छोड़ती है।
हर वक्त हमे उनसे लडना है।।

परेशानियां कहां पिछा छोडती है।
हर वक्त हमें उनसे लडना है।।

स्वरचित – कृष्णा वाघमारे,जालना, महाराष्ट्र.

Language: Hindi
2 Likes · 109 Views
Books from krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
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